रायपुर : जंगल बचेगा तो आजीविका के साधन भी बढ़ेगा: मंत्री श्री रामविचार नेताम

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आदिम जाति विकास मंत्री श्री राम विचार नेताम ने कहा कि ईश्वर ने हमें प्रकृति के गोद में जन्म दिया है। राज्य के विशेषकर बस्तर और सरगुजा के बहुतायत आदिवासियों का जीवन वन संसाधन पर आश्रित हैं। यदि जंगल नहीं बचेगा तो हमारे आजीविका के साधन भी कम हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जंगल बचेगा तो आजीविका के साधन बढ़ेंगे। हमें कर्तव्यनिष्ठा के साथ जंगलों का संरक्षण करना चाहिए। वनों का सुरक्षा हमारा अधिकार ही नहीं कर्तव्य भी है। मंत्री श्री नेताम आज नवा रायपुर स्थित आदिवासी अनुसंधान संस्थान में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्राप्त ग्राम सभाओं के लिए आजीविका संवर्धन विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के समापन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे।

मंत्री श्री नेताम ने कहा कि व्यक्तिगत और सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्राप्त ग्राम सभाओं को आगामी एक वर्ष के भीतर बेहतर तरीके से क्रियाशील किया जाए। वे वीडियोकान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी एफआरए प्रतिनिधियों से बात करेंगे और उनकी समस्याएं सुनेंगे। हरसंभव उनकी समस्याओं का समाधन ढूंढा जाएगा। उन्होंने कहा कि ग्रामवासी जंगल और जमीन को सुरक्षित रख सकेंगे। मंत्री श्री नेताम ने कहा कि गांवों में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, भले ही उनके पास डिग्री व डिप्लोमा न हो, किन्तु अंतर्रात्मा की आवाज और जीवन का अनुभव बहुत कुछ बता देता है। ऐसे लोगों को आदिम समाज के विकास के लिए आगे आने की जरूरत है।

 

मंत्री श्री नेताम ने कहा कि कुछ लोग भोले-भाले आदिवासियों को गुमराह कर विकास की मुख्यधारा से अलग-थलग करने में लगे हुए हैं। इन क्षेत्रों में समाज विरोधी ताकतों को बढ़ने का अवसर मिल सकता है। दूरस्थ वनांचल के ग्रामीण, पीने के शुद्ध पानी, सड़क, बिजली, राशन आदि की समस्या से सुलझ रहे हैं। इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इन कमजोर वर्गो के विकास के लिए, उनके जल, जंगल, जमीन के अधिकार को पुनः लौटानेे के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी योजना तैयार की है। हम सबकी सहभागिता से ग्रामसभाओं को सशक्त करने के साथ ही आजीविका के साधन को बढ़ाना होगा। इन वर्गों के विकास और सुरक्षा के लिए राज्य सरकार हरसंभव मदद के लिए तत्पर हैं।

कार्यशाला को विभाग के संचालक श्री पी.एस. एल्मा ने भी सम्बोधित किया। इस मौके पर सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन एवं आजीविका संवर्धन पर अशासकीय संस्था के सदस्यों एवं सामुदायिक वन संसांधन प्रबंधन समितियों के सदस्यों को पीपीटी, चित्र, पोस्टर के माध्यम से इस दिशा में किए जा रहे कार्यों की प्रस्तुति दी। प्रस्तुति में संस्था के माध्यम से वन संसाधन एवं लघु वनोपज आधारित प्रबंधन एवं आजीविका संवर्धन के तरीके, वृहद स्तर पर क्रियान्वयन की संभावनाएं, समुदाय पर इसका प्रभाव, चुनौतियां एवं सुझाव इत्यादि को बेहतर बताया गया। इस अवसर पर अपर संचालक श्री संजय गौड़, एफईएस की सुश्री मंजीत कौर बल एवं सुश्री नमिता सहित स्वयंसेवी संस्थाओं और 16 जिले के 60 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्राप्त ग्राम सभाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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