पत्नी को मायके से ससुराल जाने,,कोर्ट का आदेश

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भिलाई-3 | आवेदक तुकेश्वर कुमार साहू निवासी वार्ड नं.-32.

साहू गली भाटापारा,देवबलौदा.तहसील भिलाई-3जिल- दुर्ग (छ.ग.) एंव उसकी पत्नी का विवाह दिनांक 28.04.2018 को हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार ग्राम एरमसाही, चौकी मारो, थाना-नादघाट जिला बेमेतरा (छ०ग०) में सपन्न हुआ था तथा उनके ससंर्ग से दो संतान का जन्म हुआ है वर्तमान में पुत्री अपने पिता के संरक्षण में है। विवाह के लगभग 15 दिन के बाद से ही पत्नी के व्यवहार में परिवर्तन आने लगा वह अपने माता-पिता व परिवारजनों की बातों में आकर अपने पति से हमेशा लडाई-झगड़ा यह कहकर करती थी कि वह मायके में जितना दिन भी रहूं मना नहीं करोगे मेरी बात नहीं मानोगे तो तुम्हारे साथ नहीं रहूंगी, तुम्हारे पास कुछ भी जमीन नहीं है इसलिए में अपने पति के साथ क्यों जांऊ एवम पति की बात क्यो सुनु कहने लगी। जून 2019 को आवेदक एवं उसके परिवार के लोग अनावेदिका को लाने गये तब अनावेदिका के पिता बिना फोन करें क्यों लेने आये हो कहने लगा तथा अनावेदिका अपने माता-पिता एवं बहन के बहकावे में आकर अश्लील गाली-गलौज कर आवेदक के पिता के साथ दो चार बार चप्पल से मारपीट की। अनावेदिका द्वारा आवेदक के पिता से अलग रहने की जिद पर आवेदक किराये के मकान में अनावेदिका को लेकर रहने लगा। उसके बार-बार मायके चले जाने व झूठे मामले में फंसा देने की धमकी देने तथा गाली-गलौज करने से आवेदक एवं उसका पूरा परिवार परेशान था। अनावेदिका एवं उसके मायके वाले आवेदक पर दबाव डालते थे कि वह अनावेदिका के मायके जाकर रहे । अनावेदिका का भाई ट्रैफिक पुलिस में है वह बिना सूचना दिये आ जाता और आवेदक को थाना में बुक कर दूंगा और ऐसे धारा लगाउंगा कि जमानत भी नहीं होने दूंगा की धमकी देता। आवेदक हमेशा से ही अपने वैवाहिक जीवन को बचाने की कोशिश करता रहा है अनावेदिका के माता-पिता एव अन्य व्यक्ति दिनांक 11.04.2023 को आवेदक के साथ लड़ाई-झगडा, गाली-गलौज कर एंव उसे झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर अनावेदिका को अपने साथ ले गये हैं, तब से अनावेदिका अपने पति के साथ नहीं रह रही थी उसके बाद आवेदक ने अपने न्यायमित्र मोतीराम कोशले के माध्यम से हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 09 के तहत अपने दाम्पत्य जीवन की पुनर्स्थापना बाबत आवेदन-पत्र प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायलय दुर्ग में प्रस्तुत किया |                                                                                                                                     

 

       इस प्रकरण में दिनांक 03.10.2023 को अनावेदिका उपस्थित हुई l अपना जवाबदावा प्रस्तुत की है | न्यायालय द्वारा उभयपक्षों के मध्य काउंसलिंग कराये जाने के पश्चात अनावेदिका द्वारा आवेदक के विरुद्ध झूठे आरोप लगाकर पति के साथ रहने ने इंकार कर दी है इस प्रकार से वर्णित स्थिति में आवेदक के साथ अनावेदिका के द्वारा कारित कथित क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया गया है उक्त आचरण से यह स्थापित है कि अनावेदिका आवेदक के साथ दाम्पत्य जीवन निर्वहन करने की इच्छुक नहीं है। इस प्रकार आवेदक पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य से यह पाया जाता है कि, अनावेदिका आवेदक के साथ दाम्पत्य जीवन का निवार्हन नहीं करना चाहती एवं अनावेदिका के द्वारा युक्तियुक्त बिना किसी पर्याप्त कारण के आवेदक से अपना सहचर्य प्रत्याहृत कर लिया गया है। फलत : आवेदक अनावेदिका के विरुद्ध दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना की आज्ञप्ति प्राप्त करने का अधिकारी है। प्रकरण में उपलब्ध समस्त सामग्री पर विचारोपरांत एवं धारा 09 हिन्दू विवाह अधी नियम 1955 वास्ते दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना के अंतर्गत माननीय न्यायलय द्वारा आदेश दिनांक 24.08.2024 से दो माह के भीतर अनावेदिका को अपने पति के साथ के साथ रहकर अपने दाम्पत्य संबंधों का निर्वाह करने का आदेश दिया गया है |

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